नोट :- सारे प्रयोग किसी सिद्ध पुरुष या गुरु की देखरेख में ही संपन्न करे | अन्यथा लाभ के स्थान पर हानि के साथ साथ कुछ गलत भी घटित हो सकता है
बुधवार, 26 फ़रवरी 2014
दुर्भाग्य नाशक लक्ष्मी प्राप्ति का दिव्य मंत्र पाठ
त्रैलोक्य पूजिते देवी कमले विष्णुवल्लभे
यथा त्वमचलाकृष्णे तथा भव मयि स्थिरा
इश्वरी कमला लक्ष्मिश्चला भर्तुहरिप्रिया
पद्मा पद्मालय संपदुचै श्री पद्मधारिणी
द्वादशैतानी नामानी लक्ष्मीं सपुज्य य: पठेत
स्थिरा लक्ष्मी :भवेतस्व पुत्र दरादिभि : सह
ॐ र्र्हीं दूँ दुर्गे स्मृता हरसी
भितिमशेष जन्तो :स्वस्थै स्मृता
मतिमतीव शुभां ददासि
यदंती यच्च दूरके भयं विदन्ति
मामिह पवमानवितम् जही
दारिद्र्य दुख:भयहरिणी का
त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय
सद्रार्द चित्ता स्वाहा...
विधिक़र्ज़ मुक्ति आर्थिक स्थिति सुधरने के लिए चंचल
लक्ष्मी स्थिर करने के लिए इस पाठ को नित्य कीजिये
सुबह शाम कीजिये घी का निरंजन जलाके देवी का पाठ करे
----------------------------
अन्य मंत्र : लक्ष्मी यक्शनी मंत्र
ॐ ऐं लक्ष्मीं श्रीं कमलधारिणी कलहंसी स्वाहा :
मनोकामना धर के छःमॉस तक नित्य जाप करते रहे
अप्रतिम परिवर्तन नज़र आयेगा पैसे की बरकत के योग बनना शुरू होजायेगा ..
यथा त्वमचलाकृष्णे तथा भव मयि स्थिरा
इश्वरी कमला लक्ष्मिश्चला भर्तुहरिप्रिया
पद्मा पद्मालय संपदुचै श्री पद्मधारिणी
द्वादशैतानी नामानी लक्ष्मीं सपुज्य य: पठेत
स्थिरा लक्ष्मी :भवेतस्व पुत्र दरादिभि : सह
ॐ र्र्हीं दूँ दुर्गे स्मृता हरसी
भितिमशेष जन्तो :स्वस्थै स्मृता
मतिमतीव शुभां ददासि
यदंती यच्च दूरके भयं विदन्ति
मामिह पवमानवितम् जही
दारिद्र्य दुख:भयहरिणी का
त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय
सद्रार्द चित्ता स्वाहा...
विधिक़र्ज़ मुक्ति आर्थिक स्थिति सुधरने के लिए चंचल
लक्ष्मी स्थिर करने के लिए इस पाठ को नित्य कीजिये
सुबह शाम कीजिये घी का निरंजन जलाके देवी का पाठ करे
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अन्य मंत्र : लक्ष्मी यक्शनी मंत्र
ॐ ऐं लक्ष्मीं श्रीं कमलधारिणी कलहंसी स्वाहा :
मनोकामना धर के छःमॉस तक नित्य जाप करते रहे
अप्रतिम परिवर्तन नज़र आयेगा पैसे की बरकत के योग बनना शुरू होजायेगा ..
श्रीऋद्धि-सिद्धि के लिए श्री गणपति -साधना एवं अस्थिर लक्ष्मी स्थिर करने का लक्ष्मी मंत्र
अगर घर में आर्थिक स्थिति ठीक न हो तो मायूस होने की जरुरत नहीं स्वच्छ और निर्मल भाव से इस साधना को करे निश्चित ही आप को परिवर्तन नजर आयेगा इसमें विशेष विधि विधान की जरुरत नहीं
‘कलौ चण्डी-विनायकौ’- कलियुग में ‘चण्डी’ और ‘गणेश’ की साधना ही श्रेयस्कर है। सच पूछा जाए, तो विघ्न-विनाशक गणेश और सर्व-शक्ति-रुपा माँ भगवती चण्डी के बिना कोई उपासना पूर्ण हो ही नहीं सकती। ‘भगवान् गणेश’ सभी साधनाओं के मूल हैं, तो ‘चण्डी’ साधना को प्रवहमान करने वाली मूल शक्ति है। यहाँ भगवान् गणेश की साधना की एक सरल विधि प्रस्तुत है।
वैदिक-साधनाः
यह साधना ‘श्रीगणेश चतुर्थी’ से प्रारम्भ कर ‘चतुर्दशी’ तक (१० दिन) की जाती है। ‘साधना’ हेतु “ऋद्धि-सिद्धि” को गोद में बैठाए हुए भगवान् गणेश की मूर्ति या चित्र आवश्यक है।
विधिः पहले ‘भगवान् गणेश’ की मूर्ति या चित्र की पूजा करें। फिर अपने हाथ में एक नारियल लें और उसकी भी पूजा करें। तब अपनी मनो-कामना या समस्या को स्मरण करते हुए नारियल को भगवान् गणेश के सामने रखें। इसके बाद, निम्न-लिखित स्तोत्र का १०० बार ‘पाठ‘ करें। १० दिनों में स्तोत्र का कुल १००० ‘पाठ‘ होना चाहिए। यथा-
स्वानन्देश गणेशान्, विघ्न-राज विनायक ! ऋद्धि-सिद्धि-पते नाथ, संकटान्मां विमोचय।।१
पूर्ण योग-मय स्वामिन्, संयोगातोग-शान्तिद। ज्येष्ठ-राज गणाधीश, संकटान्मां विमोचय।।२
वैनायकी महा-मायायते ढुंढि गजानन ! लम्बोदर भाल-चन्द्र, संकटान्मां विमोचय।।३
मयूरेश एक-दन्त, भूमि-सवानन्द-दायक। पञ्चमेश वरद-श्रेष्ठ, संकटान्मां विमोचय।।४
संकट-हर विघ्नेश, शमी-मन्दार-सेवित ! दूर्वापराध-शमन, संकटान्मां विमोचय।।५
उक्त स्तोत्र का पाठ करने से पूर्व अच्छा होगा, यदि निम्न-लिखित मन्त्र का १०८ बार ‘जप’ किया जाए। यथा- “
ॐ श्री वर-वरद-मूर्त्तये वीर-विघ्नेशाय नमः ॐ”
साधना-काल में (१० दिन) साधना करने के बाद दिन भर उक्त मन्त्र का मन-ही-मन स्मरण करते रहें। ११ वें दिन, पहले दिन जो नारियल रखा था, उसे पधारे (फोड़कर) ‘प्रसाद’ स्वरुप अपने परिवार में बाँटे। ‘प्रसाद’ किसी दूसरे को न दें।
इस साधना से सभी प्रकार की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। सभी समस्याएँ, बाधाएँ दूर होती है।
विशेष मंत्र साधना ज्ञान
मेरे साधक मित्रो कई साधक मित्र है जो कई समय से मंत्रो को जागृत करने में लगे हुए है मगर आज तक सफलता प्राप्त नहीं हुई इसका कारन क्या है , तो मित्रो इसका विशेष कारन है पहले आप को अपने इष्ट देवता की कृपा दृष्टी पाना उसके बगेर कोई भी मन्त्र या तंत्र सिद्ध नहीं होता यह कटु सत्य है , अन्यथा साधना व्यर्थ् है या फिर किसी गुरु के सानिध्य में रह कर साधना करे .या फिर किसी पारंगत यानि तैयार गुरु का मार्गदर्शन ले तब ही आप अपने प्रयास में सफल हो पाएंगे ..किसी को अपना गुरु बनाने की इच्छआ जाहिर करे , वोह आप को अवश्य मार्गदर्शन करेंगे .मगर एक बात , आप का उद्देश्य योग्य होना चाहिए ..
जब तक आप किसी गुरु से दीक्षा नहीं ले लेते तब तक आप को एक साधक होने का सौभाग्य प्राप्त नहीं होगा ..
यह सारे नियम साबर मंत्रो , या नाथ पन्थो के ,या अघोर पन्थो के संप्रदाय में लागु होता है ..
तो मित्रो उचित कार्य प्रणाली को अपनाये और अपना जीवन सार्थक बनाये ..यही हमारी समूचे साधक मित्रो के लिए है ..
जय बम्म भोले आदेश गुरुजी को
जब तक आप किसी गुरु से दीक्षा नहीं ले लेते तब तक आप को एक साधक होने का सौभाग्य प्राप्त नहीं होगा ..
यह सारे नियम साबर मंत्रो , या नाथ पन्थो के ,या अघोर पन्थो के संप्रदाय में लागु होता है ..
तो मित्रो उचित कार्य प्रणाली को अपनाये और अपना जीवन सार्थक बनाये ..यही हमारी समूचे साधक मित्रो के लिए है ..
जय बम्म भोले आदेश गुरुजी को
साबर सोमवती साधना
जब बात पूर्णता की हो रही हो तो उसका अर्थ जीवन के दोनों पक्षों से होता है. अध्यात्मिक क्षेत्र में जहा हम विविध साधनाओ का अभ्यास करते हुए गुरु चरणों में लिन हो जाए उस तरह जीवन में यह भी जरूरू है की भौतिक पक्ष भी मजबूत हो. हमें मान सन्मान यश कीर्ति ऐश्वर्य की प्राप्ति हो सके. भौतिक जीवन में सफलता के बिना आध्यात्मिक पक्ष में सम्पूर्णता को प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील होने पर अत्यधिक संघर्षो का सामना करना पड़ता है, वरन उत्तम तो ये है की हम गृहस्थ और आध्यात्म दोनों को साथ में लेके अपनी मंजिल की तरफ आगे बढे. साधनाओ के अंतर्गत सभी प्रकार की गृहस्थ समस्याओ के निराकरण के लिए उपाय है, इसका सीधा अर्थ यही बनता है की साधना मार्ग सिर्फ आध्यात्मिक उन्नति के लिए नहीं है लेकिन भौतिक पक्ष में भी पूर्ण सफलता प्राप्त करने के लिए साधनाओ का सहारा लिया जा सकता है. आज के इस युग में जहाँ एक तरफ द्रव्य का ही बोलबाला है, जीवन के लिए एक उत्तम आय का स्त्रोत होना अत्यधिक जरुरी हो चूका है. लेकिन कई बार यु होता है की व्यक्ति विशेष को अपनी काबिलियत होने पर भी अपने कार्य क्षेत्र में योग्य पद या काम नहीं मिल पता है. या फिर काम मिलने पर भी कई प्रकार की बाधाए अडचने आने लगती है. कई बार योग्य जगह काम मिलने पर भी वेतन की समस्या होती है. कई लोगो की, खास कर के वह विद्यार्थी जो की अपनी पहली नौकरी की तलाश में हो उन्हें भी यह चिंता बराबर बनी रहती है की उन्हें यथायोग्य काम मिले जो की भविष्य में उनकी प्रगति के लिए एक आधार स्तंभ बने.
साबर साधनाओ में एसी कई साधनाए प्राप्त होती है जो की इस प्रकार के उद्देश्य में पूर्णता प्राप्त करने के लिए साधको का मार्ग प्रसस्त करती है. आगे की पंक्ति में भी एक एसी ही अद्भुत साधना दी जा रही है. इस साधना को करने पर साधक को योग्य काम मिलने में जोभी अडचने हो दूर हो जाती है, योग्य मनोकुलित व् प्रगति वर्धक स्थान पर नौकरी मिलती है. अगर किसीको अपनी नौकरी में किसी प्रकार की समस्या भी हो तो भी यह साधना से वह दूर होती है. संस्क्षेप्त में कहा जाए तो यह साधना काम व् नौकरी की हर समस्याओ को दूर करने क लिए ही बनी है.
इस साधना को साधक सोमवार मंगलवार शुक्रवार या शनिवार से शुरू कर सकते है
समय रात्रि के १० बजे बाद का रहे, दिशा उत्तर रहे.
रात्रि में स्नान करने के बाद सफ़ेद वस्त्र को धारण करे. इसके बाद अपने पूजा स्थान में बैठ कर के गुरु पूजन सम्प्पन करे और सफलता प्राप्ति के लिए प्रार्थना करे.
उसके बाद निम्न मंत्र का १०८ बार उच्चारण करे
मंत्र : ओम सोमावती भगवती बरगत देहि उत्तीर्ण सर्व बाधा स्तम्भय रोशीणी इच्छा पूर्ति कुरु कुरु कुरु सर्व वश्यं कुरु कुरु कुरु हूं तोशिणी नमः
यह जाप सफ़ेद हकीक माला से हो और उस माला को मंत्र जाप के बाद धारण कर ले.
यह क्रम पुरे ११ दिन तक रहे. इस साधना में रात्रि में भोजन करने से पहले थोडा खाध्य पदार्थ गाय को खिलाना चाहिए. ऐसा करने के बाद ही भोजन करे. अगर यह संभव न हो तो रात्रि में भोजन न करे.
इस साधना पूरी होने पर माला को विसर्जित नहीं करना चाहिए तथा गले में धारण करे रखना चाहिए.
यह साधना का करिश्मा है की यह साधना करने पर कुछ ही दिनों में यथायोग्य परिणाम प्राप्त होने लगते है.
साबर साधनाओ में एसी कई साधनाए प्राप्त होती है जो की इस प्रकार के उद्देश्य में पूर्णता प्राप्त करने के लिए साधको का मार्ग प्रसस्त करती है. आगे की पंक्ति में भी एक एसी ही अद्भुत साधना दी जा रही है. इस साधना को करने पर साधक को योग्य काम मिलने में जोभी अडचने हो दूर हो जाती है, योग्य मनोकुलित व् प्रगति वर्धक स्थान पर नौकरी मिलती है. अगर किसीको अपनी नौकरी में किसी प्रकार की समस्या भी हो तो भी यह साधना से वह दूर होती है. संस्क्षेप्त में कहा जाए तो यह साधना काम व् नौकरी की हर समस्याओ को दूर करने क लिए ही बनी है.
इस साधना को साधक सोमवार मंगलवार शुक्रवार या शनिवार से शुरू कर सकते है
समय रात्रि के १० बजे बाद का रहे, दिशा उत्तर रहे.
रात्रि में स्नान करने के बाद सफ़ेद वस्त्र को धारण करे. इसके बाद अपने पूजा स्थान में बैठ कर के गुरु पूजन सम्प्पन करे और सफलता प्राप्ति के लिए प्रार्थना करे.
उसके बाद निम्न मंत्र का १०८ बार उच्चारण करे
मंत्र : ओम सोमावती भगवती बरगत देहि उत्तीर्ण सर्व बाधा स्तम्भय रोशीणी इच्छा पूर्ति कुरु कुरु कुरु सर्व वश्यं कुरु कुरु कुरु हूं तोशिणी नमः
यह जाप सफ़ेद हकीक माला से हो और उस माला को मंत्र जाप के बाद धारण कर ले.
यह क्रम पुरे ११ दिन तक रहे. इस साधना में रात्रि में भोजन करने से पहले थोडा खाध्य पदार्थ गाय को खिलाना चाहिए. ऐसा करने के बाद ही भोजन करे. अगर यह संभव न हो तो रात्रि में भोजन न करे.
इस साधना पूरी होने पर माला को विसर्जित नहीं करना चाहिए तथा गले में धारण करे रखना चाहिए.
यह साधना का करिश्मा है की यह साधना करने पर कुछ ही दिनों में यथायोग्य परिणाम प्राप्त होने लगते है.
साबर- देवी शक्ति-पाठ श्रीमहा-लक्ष्मी कमला
साबर-शक्ति-पाठ
पूर्व-पीठिका..
।। विनियोग ।।
श्रीसाबर-शक्ति-पाठ का, भुजंग-प्रयात है छन्द ।
भारद्वाज शक्ति ऋषि, श्रीमहा-काली काल प्रचण्ड ।।
ॐ क्रीं काली शरण-बीज, है वायु-तत्त्व प्रधान ।
कालि प्रत्यक्ष भोग-मोक्षदा, निश-दिन धरे जो ध्यान ।।
।। ध्यान ।।
मेघ-वर्ण शशि मुकुट में, त्रिनयन पीताम्बर-धारी ।
मुक्त-केशी मद-उन्मत्त सितांगी, शत-दल-कमल-विहारी ।।
गंगाधर ले सर्प हाथ में, सिद्धि हेतु श्री-सन्मुख नाचै ।
निरख ताण्डव छवि हँसत, कालिका ‘वरं ब्रूहि’ उवाचै ।।
।। पाठ-प्रार्थना ।।
जय जय श्रीशिवानन्दनाथ ! भगवम्त भक्त-दुःख-हारी ।
करो स्वीकार साबर-शक्ति-पाठ, हे महा-काल-अवतारी ।
श्रीमहा-लक्ष्मी कमला
ॐ विष्णु-प्रिया दिग्दलस्था नमो, विश्वाधार-जननि कमलायै नमो ।
बीजाक्षरों की तुम्हीं सृष्टि करती, चरण-शरण भक्त के क्लेश हरती ।।
सिन्धु-कन्या माया-बीज-काया, मोह-पाश से जग को भ्रमाया ।
योगी भी हुए नहैं हैरान तुमसे, कराओ अन्तर्बहिर्याग नित्य मुझसे ।।
न करता हूँ जाप-पूजा मैं तेरी, इतना ही जानता हूँ माँ तू मेरी ।
पद्म-चक्र-शंख-मधु-पात्र धारे, विकट वीर योद्धा तूने सँहारे ।।
श्रीअपराजिता वैष्णवी नाम तेरा, माँ एकाक्षरी तू आधार मेरा ।
तू ही गुरु-गोविन्द करुणा-मयी, जै जै श्रीशिवानन्दनाथ-लीला-मयी ।।
ऐरावत है शुण्डाभिषेक करते, दे प्रत्यक्ष दरशन हे विश्व-भर्ते ।
योग-भोगदा रमा विष्णु-रुपा, मेरी कामधेनु काम-स्वरुपा ।।
सिद्धैशवर्य-दात्री हे शेष-शायी, करे दास बिनती करो माँ सहाई ।
पद्मा चञ्चला श्रीलक्ष्मी कहाई, पीताम्बरा तू गरुड़-वाहना सुहाई ।।
त्रिलोक-मोहन-करी कामिनी, जयति जय श्रीहरि-भामिनी ।
रुक्मिणी राज्ञी अर्थ-क्लेश-त्राता, जय श्रीधन-दात्री विश्व-माता ।।
महा-लक्ष्मी लक्ष्मणा श्यामलांगी, पद्म-गन्धा श्री श्रीकोमलांगी ।
कालिन्दी कमले कर्म-दोष-हन्त्री, सुदर्शनीया ग्रीवा में माला वैजन्ती ।।
श्रीमहा-लक्ष्मी कमला समर्पणम् ।।
विधि :- ।।श्रीसाबर-शक्ति-पाठं सम्पूर्णं, शुभं भुयात्।।
उक्त श्री ‘साबर-शक्ति-पाठ‘ के रचियता ‘ योगिराज’ श्री शक्तिदत्त शिवेन्द्राचार्य नामक कोई महात्मा रहे है। उनके उक्त पाठ की प्रत्येक पंक्ति रहस्य-मयी है। पूर्ण श्रद्धा-सहित पाठ करने वाले को सफलता निश्चित रुप से मिलती है, ऐसी मान्यता है।
किसी कामना से इस पाठ का प्रयोग करने से पहले तीन रात्रियों में लगातार इस पाठ की १११ आवृत्तियाँ ‘अखण्ड-दीप-ज्योति’ के समक्ष बैठकर कर लेनी चाहिए। तदनन्तर निम्न प्रयोग-विधि के अनुसार निर्दिष्ट संख्या में निर्दिष्ट काल में अभीष्ट कामना की सिद्धि मिल सकेगी।
सर्व बाधा मुक्ति शाबर मंत्र
सर्व बाधा मुक्ति शाबर मंत्र
ये मंत्र योगी गुरु गोरखनाथ प्रणित हैं का शाबर मंत्र
मंत्र
ॐ वज्र में कोठा, वज्र में ताला, वज्र में बंध्या दस्ते द्वारा, तहां वज्र का लग्या किवाड़ा, वज्र में चौखट, वज्र में कील, जहां से आय, तहां ही जावे, जाने भेजा, जांकू खाए, हमको फेर न सूरत दिखाए, हाथ कूँ, नाक कूँ, सिर कूँ, पीठ कूँ, कमर कूँ, छाती कूँ जो जोखो पहुंचाए, तो गुरु गोरखनाथ की आज्ञा फुरे, मेरी भक्ति गुरु की शक्ति, फुरो मंत्र इश्वरोवाचा.
विधि - सात कुओ या किसी नदी से सात बार जल लाकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए रोगी को स्नान करवाए तो उसके ऊपर से सभी प्रकार का किया-कराया उतर जाता है.
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