श्रीमदभागवत महापुराण मे नवनाथ जी की वर्णन मिलती है,ऋषभदेवजी के १०० पुत्र थे और १०० मे से ९ पुत्र ज्ञानमार्गी सन्यासी बन गये॰ इसी पुराण मे एकादश स्कन्ध मे इस बात की वर्णन बताई हुयी है॰
निमिराजा जी को ऋषियोने धर्म तत्व समजाई थी,वही ऋषि फिर से कलयुग मे जन्मे और उन्होने नाथसप्रदाय की स्थापना की और दुनिया की कल्याण की लिये ‘’योगसिद्धि’’ और भक्ति मार्ग समजाइ॰
कली ने ‘मच्छीन्द्र’, हरी ने ‘गोरक्ष’, अंतरिश ने ‘जालिन्दर’, प्रबुद्ध ने ‘कानिफ’, पिप्पलायन ने ‘चर्पटी’, अर्वीहोत्रा ने ‘वटसिद्ध नागनाथ’, द्रुमील ने ‘भर्तरी’,चमस ने ‘रेवण’ और करभजन ने ‘गहिनी’ इस प्रकार से इन्होंने जन्म ली है॰
आदिनाथ शिवजी और दत्तात्रेय जी की आज्ञा से,दीक्षा से नाथसप्रदाय की जन्म हुयी है॰
नाथपंथिय दीक्षा विधि
नाथसप्रदाय मे दीक्षा ग्रहण करने की लिये पौष,माघ,फाल्गुन व चैत्र माह और पूर्णिमा शुभ मानी जाती है॰दीक्षा से पूर्व गुरु अपने शिष्य की अनेक प्रकार से परीक्षा तो लेते ही है॰ दीक्षा की समय सिहनाद सुनाई जाती है और ‘अलख निरंजन’ शब्द की महत्व समजाइ जाती है॰ दीक्षा की पद्धतीनुसार ‘दर्शनीनाथ व अवघडनाथ’ येसी दो प्रकार की सप्रदाय है॰ जीनके कान मे कुंडल होती है वह दर्शनीनाथ के नाम से जाने जाती है। साधना की माध्यम से भी आप नवनाथ सप्रदाय की अवघड दीक्षा की प्राप्ति कर सकते है॰
अब येसी विधि हमारे पास हो और हम दीक्षा प्राप्ति ना कर सके यह बात तो उचित ही नहीं है,इसीलिये आप भी अवघड दीक्षा की प्राप्ति कर सकते है ॰ अब यह दीक्षा आप प्राप्त करके साबर मंत्रो मे सफलता और पूर्ण गोरक्ष कृपा भी प्राप्त कीजिये॰
साधना सामग्री-
काले कंबल की आसन,रुद्राक्ष माला,चैतन्य नवनाथ चित्र,
विधि-
उत्तर या पूर्व दिशा की और मुख करके बैठीये,सामने किसी बाजोट पर पीली वस्त्र बिछानी है और इसपे चैतन्य सदगुरुजी एवं नवनाथ जी की चित्र की स्थापना कीजिये॰साथ मे कलश स्थापना भी करनी है,कलश स्थापना की विधि जैसी भी आपके पास हो उसी प्रकार से कीजिये॰ दीपक पूजन करके दीप प्रज्वलित करनी है और सुगंधित धूप बत्ती जलानी है॰ गुरुपूजन कीजिये और साथ मे गुरुमंत्र की ९ माला और ॐ नम: शिवाय मंत्र की १ माला करनी है ॰ सदगुरुजी से साधना सफलता की और दीक्षा प्राप्ति की लिये प्रार्थना कीजिये॰ ‘’श्रीनाथ जी की जय’’ बोलते हुये ताली बजानी है॰अब नवानाथ जी को प्रणाम करते हुये ९ बार नाथ मंत्र बोलनी है साथ मे ही अपनी मनोकामना बोलनी है की ‘’मै अमुक गुरुजी का शिष्य/शिष्या अवघडनाथ दीक्षा प्राप्ति एवं दर्शन की अभिलाषा हेतु आपसे प्रार्थना करता/करती हु,कृपया आप इस मनोकामना को पूर्ण कर दीजिये’’,और पुष्प माला चढ़ा दीजिये यह क्रिया ७ दिन नित्य करनी है॰
गोरक्ष जालंदर चर्पटाच्श्र अड़बंग कानिफ मच्छीद्राद्या:। चौरंगीरेवणकभात्रीसंज्ञा भूम्यां बभूवर्ननाथसिद्धा:। ।
तान्त्रोक्त गोरखक्षनाथ प्रत्यक्षीकरण मंत्र-
। । ॐ ह्रीं श्रीं गों हुं फट स्वाहा । ।
साधना समाप्ती मे आखरी दिवस पर गोरखनाथ जी की दर्शन होती है और साथ मे ही उनसे सूष्म-पात,शक्तिपात या मंत्र दीक्षा की माध्यम से दीक्षा की प्राप्ति होती है॰ येसा अगर साधक के साथ संभव नहीं हुआ तो चिंता की कोई बात नहीं यह क्रिया उसके साथ स्वप्न की माध्यम से हो ही जाती है॰ माला को आप सदैव संभाल कर रखिये यह माला आपको साबर साधना ओ मे शीघ्र सफलता प्रदान करती है यह इस साधना की विशेषता है॰
निमिराजा जी को ऋषियोने धर्म तत्व समजाई थी,वही ऋषि फिर से कलयुग मे जन्मे और उन्होने नाथसप्रदाय की स्थापना की और दुनिया की कल्याण की लिये ‘’योगसिद्धि’’ और भक्ति मार्ग समजाइ॰
कली ने ‘मच्छीन्द्र’, हरी ने ‘गोरक्ष’, अंतरिश ने ‘जालिन्दर’, प्रबुद्ध ने ‘कानिफ’, पिप्पलायन ने ‘चर्पटी’, अर्वीहोत्रा ने ‘वटसिद्ध नागनाथ’, द्रुमील ने ‘भर्तरी’,चमस ने ‘रेवण’ और करभजन ने ‘गहिनी’ इस प्रकार से इन्होंने जन्म ली है॰
आदिनाथ शिवजी और दत्तात्रेय जी की आज्ञा से,दीक्षा से नाथसप्रदाय की जन्म हुयी है॰
नाथपंथिय दीक्षा विधि
नाथसप्रदाय मे दीक्षा ग्रहण करने की लिये पौष,माघ,फाल्गुन व चैत्र माह और पूर्णिमा शुभ मानी जाती है॰दीक्षा से पूर्व गुरु अपने शिष्य की अनेक प्रकार से परीक्षा तो लेते ही है॰ दीक्षा की समय सिहनाद सुनाई जाती है और ‘अलख निरंजन’ शब्द की महत्व समजाइ जाती है॰ दीक्षा की पद्धतीनुसार ‘दर्शनीनाथ व अवघडनाथ’ येसी दो प्रकार की सप्रदाय है॰ जीनके कान मे कुंडल होती है वह दर्शनीनाथ के नाम से जाने जाती है। साधना की माध्यम से भी आप नवनाथ सप्रदाय की अवघड दीक्षा की प्राप्ति कर सकते है॰
अब येसी विधि हमारे पास हो और हम दीक्षा प्राप्ति ना कर सके यह बात तो उचित ही नहीं है,इसीलिये आप भी अवघड दीक्षा की प्राप्ति कर सकते है ॰ अब यह दीक्षा आप प्राप्त करके साबर मंत्रो मे सफलता और पूर्ण गोरक्ष कृपा भी प्राप्त कीजिये॰
साधना सामग्री-
काले कंबल की आसन,रुद्राक्ष माला,चैतन्य नवनाथ चित्र,
विधि-
उत्तर या पूर्व दिशा की और मुख करके बैठीये,सामने किसी बाजोट पर पीली वस्त्र बिछानी है और इसपे चैतन्य सदगुरुजी एवं नवनाथ जी की चित्र की स्थापना कीजिये॰साथ मे कलश स्थापना भी करनी है,कलश स्थापना की विधि जैसी भी आपके पास हो उसी प्रकार से कीजिये॰ दीपक पूजन करके दीप प्रज्वलित करनी है और सुगंधित धूप बत्ती जलानी है॰ गुरुपूजन कीजिये और साथ मे गुरुमंत्र की ९ माला और ॐ नम: शिवाय मंत्र की १ माला करनी है ॰ सदगुरुजी से साधना सफलता की और दीक्षा प्राप्ति की लिये प्रार्थना कीजिये॰ ‘’श्रीनाथ जी की जय’’ बोलते हुये ताली बजानी है॰अब नवानाथ जी को प्रणाम करते हुये ९ बार नाथ मंत्र बोलनी है साथ मे ही अपनी मनोकामना बोलनी है की ‘’मै अमुक गुरुजी का शिष्य/शिष्या अवघडनाथ दीक्षा प्राप्ति एवं दर्शन की अभिलाषा हेतु आपसे प्रार्थना करता/करती हु,कृपया आप इस मनोकामना को पूर्ण कर दीजिये’’,और पुष्प माला चढ़ा दीजिये यह क्रिया ७ दिन नित्य करनी है॰
गोरक्ष जालंदर चर्पटाच्श्र अड़बंग कानिफ मच्छीद्राद्या:। चौरंगीरेवणकभात्रीसंज्ञा भूम्यां बभूवर्ननाथसिद्धा:। ।
तान्त्रोक्त गोरखक्षनाथ प्रत्यक्षीकरण मंत्र-
। । ॐ ह्रीं श्रीं गों हुं फट स्वाहा । ।
साधना समाप्ती मे आखरी दिवस पर गोरखनाथ जी की दर्शन होती है और साथ मे ही उनसे सूष्म-पात,शक्तिपात या मंत्र दीक्षा की माध्यम से दीक्षा की प्राप्ति होती है॰ येसा अगर साधक के साथ संभव नहीं हुआ तो चिंता की कोई बात नहीं यह क्रिया उसके साथ स्वप्न की माध्यम से हो ही जाती है॰ माला को आप सदैव संभाल कर रखिये यह माला आपको साबर साधना ओ मे शीघ्र सफलता प्रदान करती है यह इस साधना की विशेषता है॰
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